इस देश के 542 सीट के उम्मीदवारों ,जनता आपका पीछा नहीं छोड़ने वाली |
जनता अब जाग गई है|
चैन से तुम्हे सोना है...... तो अब तुम भी जाग जाओ.....|
हम काश्मीर से कन्याकुमारी ,राजस्थान से बंगाल समूचे भारत के आम आदमी हैं |
हमें तुमने खूब उल्लू बनाया |अब उल्लू बनाने का नइ ....|
हमारे हाथ में काम भले न हो, इंटरनेट वाला मोबाइल जरुर है |सो उल्लू बनाविंग का खेल ख़त्म |
पारदर्शिता वाला गेम चालू,.....|
दृश्य १....
मार्च का महीना,अंतिम सप्ताह ,बजट का अनाप-शनाप पैसा, लेप्स होने के कगार में |ताबड़तोड़ खरीददारी का अभियान चालू | आफिस में ये होते रहता है |बड़े बाबू ,क्या-क्या चाहिए? सब फटाफट ३१ के पहले खरीद लो | मेरे रूम का ऐ सी बदल दो ,पुराने सभी फर्नीचर चेज कर दो ,और स्टाफ को जो-जो चाहिए सब दिला दो |बड़ा बाबू ,जो बात –बात पर डाट खाते रहता साहब के तेवर से हकबकाते हुए कहता ,सर ,पहले कोटेशन्स मंगवाना पड़ेगा |
ये क्या कोटेशन्स लगा रखी है ,पहले कभी खरीदे नही क्या ? श्याम फर्नीचर को फोन लगाओ ,कहो साहब ने याद किया है |तीन –तीन कोटेशन ले के आ जाए |कल बिल ,पेश कर दे ,पेमेंट कर देंगे |सामान आते रहेगा |
बड़े बाबू ने दबी जुबान से कहा ,सर वो आडिट....?
हम हैं ना ? तुम क्यों घबराते हो ....|देख लेगे आडिट वालों को भी , एक-आध ऐ सी से ज्यादा क्या मुह फाड़ेंगे ?
दृश २
नगर निगम विभाग ,रोड टेंडर .....|
क्या गुप्ता जी बहुत घटिया माल लगा रहे हो |रोड टिकता ही नहीं |अभी तीन महीने हुए हैं, पोटिया सड़क बने हुए ,देख के आओ ,क्या हालत हो गई है |
तुम्हारा टेंडर खुल भी जाए तो काम देने का मन नहीं करता|,हमे भी तो ऊपर जवाब देना होता है कि नहीं |पत्रकार लोग पीछा नहीं छोड़ते |
साहब ,आप को कोई झमेला नही आयेगा |,आप्प बिल पास करवाते जाइए,बाकी से हम निपट लेगे |और आपको बता दें, इसी निपटने के चक्कर में हमारा काम बढिया नही हो पाता|क्वालिटी मेंटेन नही कर पाते हम लोग ,वरना हम वो सड़क बना के दे कि बुलडोजर चला लो चाहे प्लेन उतार लो सड़क नही टूटेगी |
गुप्ता जी आजकल ज्यादा फेकने लगे हो |जाओ काम दिखाओ ,काम में मन लगाओ |
दृश्य ३
नक्सलाईट उवाच : कमांडर ,यहाँ लगा दे लेंड माइंस .....?
वहाँ क्या तेरा बाप गुजरेगा ,बहन के पिल्लै |
इस गाँव में एक मतदाता है ,सरकार पच्चीसों मुलाजिम भेजती है ,हमको गुमराह करती है |हम चाहे तो मतदाता को पकड़ ला सकते हैं,वे चाहे तो मतदाता को हेलीकाफ्टर में ले जाके मतदान करवा सकते हैं |मगर हम दोनों ये नहीं चाहते |हम दोनों का हक़ इस एक मतदाता वाले गाँव से जुडा है|सरकार को हम पर निगरानी रखने की एवज हेलिकाफ्टर,बोलेरो, अनेक गाड़ियाँ और अन्य सुविधाए मिलाती हैं|ऊपर से पैसे आते हैं |हमे सरकार की तरफ से ये सुव्विधा है कि वे हम पर इस गाँव में छुपे होने की निगरानी नहीं करते |
दृश्य ४
नेता जी ,कुछ आम आदमी सस्ते में मिल रहे हैं ,खरीद ले. क्या ?
क्या रेट बोलते हैं ?
......
अरे ये तो पिछली बार से दो-गुना ज्यादा है ,क्यों ?
वे कहते हैं ,आप सत्ता में आते ही दाम बढाते हो ,तब तो कुछ नहीं कहते ?इलेक्शन ख़त्म होते ही पेट्रोल-गैस ,साग –सबजी के दामो में आग लगनी है|
जिनसे चंदा लेकर चुनाव लड रहे हो उनकी भर-पाई में लग के, आम आदमी को जो भूल जाओगे ,उसका क्या ?
अरे यार ,बहस मत करो ,जो भी मागते हैं दे दो |आज उनकी हर बात जायज है |आने दो ......
“इस तरह कुछ कुछ नेता ,कुछ अधिकारी, कुछ आम आदमी के बहकने-बिकने मात्र से प्रजातंत्र का खेल एकतरफा हो गया है ,आप समझे कि नइ....... ?”
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
जिनके घर शीशे के हो ....
मैने, अपना घर बनवाते वक्त अपने आर्कीटेक्ट –ठेकेदार को फकत इस बात की कड़ी हिदायत दिए रखा था, कि शीशे का उपयोग कम से कम हो |
लोग केवल शीशे के घर भी बनवाना पसंद करते हैं |
ये तो अपने –अपने मिजाज, मुहल्ले की किस्म, यार दोस्तों की क्वालिटी और दुश्मनो की फौज पर निर्भर करता है कि शीशे के मकान से रुतबा झलकता है कि परेशानी होती है |
शीशे के मकान के मारफत , आप चारों तरफ का नजारा देखना पसंद करते हैं,तो शीशा जरूरी है |अगर आपको चौबीसों घंटे सी बी आई ,इनकम टेक्स रेड का डर सताए रहता है, और अपने सेक्युरेटी गार्ड्स पर भरोसा नहीं है ,तो शीशा और भी जरूरी है |
यदि आपने झोपडपट्टी के बीच शीश-महल बनवा लिया तो खुदा खैर करे|
हमारी तो बालकनी के फकत, एक खिडकी पर कांच लगा था मगर मुहल्ले के तेंदुलकरों ने छक्के मार-मार कर हमे छका दिया |कितने दादा किस्म के माँ-बापो से रोज भिडते रहेंगे ?उल्टे वे आप पर रोब झाड के चल देंगे ,देखो मिस्टर ,इस मोहल्ले में रहना है, तो ये सब नहीं चलेगा |हमारे बच्चे खान जाएँ खेलने ?एक यही मैदान बचा था जो आपने ‘हडप’ लिया | मोहल्ले वालों के ‘हडप लिया’इल्जाम से बचने का तात्कालिक तरीका ये होता है कि हम शीशे-टूटी को किसी प्रकार बंद कर लें और खुद भी अंदर हो जावें |
जिनके यार दोस्तों की लिस्ट में ‘मुलायम-बेनी’ जैसी घटना-दुर्घटना न हुई हो वे मजे में शीशो का उपयोग करे वरना बेनी-बाबू नुमा व्यक्ति , ये दूर से देख लेते हैं कि, उनके पुराने दोस्त की अब झाड़ू लगाने की क्वालिटी में दम नहीं है ? वे तुरंत फिटनेस सर्टिफिकेट के कालम में ये व्यक्त कर देते हैं कि उनका दोस्त पहले भले अच्छा रहा हो, मगर इंन दिनों वे पी एम आफिस में झाडू लगाने के काबिल नहीं हैं|
(समाचार पत्रों में प्रकाशित बेनी-उवाच से साभार)
रही बात दुश्मन के फौजों की तो ‘नमो’ के खिलाप कांग्रसियों की कतार लगी रहती है|’नमो’ ज़रा सा अपने शीशाच्छादित राजनैतिक गलियारे में चहलकदमी करते हैं कि बवाल उठ खडा होता है|शाम को लाइव टेलीकास्ट में एक से एक दिग्गज बखिया उधेड़ने जमा जो जाते हैं |उनकी भावी योजनाओं को उन तराजुओ में तोलने लगते हैं, जहाँ नमो का पलडा कभी भारी पडता दिखाई ही नहीं देता|अखबार में उनके ‘फेकू’ होने ‘दिगियाना’ बयान जारी हो जाते हैं| ट्रांसपिरेंसी के जमाने में पूरे देश को ‘हमाम’ बनाने वाले लोगों की रणनीति क्या है ,कुछ खबर भी है आपको ?
सुशील यादव
द्रोपदी का चीर हरण
‘हिज-हाईनेस’ के राज में एक बार ‘माफिया शक्ति’ का भयानक जोर हो गया |
’हिज हाईनेस’ घोर चिंता में डूब गए |
मंत्री-संतरी, सब को एक काम में लगाया गया कि वो जानकारी दें कि माफियाओं का पावर कितना है ?
उनकी मारक क्षमता क्या है ?
कितने रेंज तक उनकी मिसाइलें काम कर सकती हैं?
वे क्या –क्या उखाड सकते हैं ?
वे राज –काज में कितना दखल रख सकते हैं ?
आने वाले चनाव में उनका क्या रोल होगा ?
हिज हाईनेस ने मंत्री-मंडल से मुखातिब होके पूछा ,कब तक रिपोर्ट मिल जाएगी ?मंत्री लोग एक-दूसरे का मुह ताकने लगे |
हाईनेस ने कहा , हम ज्यादा इंतिजार नहीं कर सकते पांडुरंगो|सामने चुनाव है |जनता को धुले हुए मुँह दिखाना है |
एक-एक विभाग की समीक्षा बैठक होने लगी |
‘महंगाई और माफिया’ पर इकानामिस्ट के विचार मांगे गए |
उन्होंने उदाहरण सहित व्याख्या किया |देश में महंगाई, ‘डिमांड और सप्लाई’ के सिद्धांत पर आधारित है जहाँ पनाह! उसे न आप बदल सकते हैं न हम |
प्याज की डिमांड है ,उत्पादकता नही ,सप्लाई नही, तो दाम बढ़ेंगे ही जनाबे-आला |मगर हमारी राय में दाम आसमान छूने लगे, ये समझ से परे है| इसमें ,कहीं न कहीं जमाखोर- माफियाओं का खेल जरूर है |
इन जमाखोर-माफियाओं को कसना पडेगा, वरना हुजूर की गद्दी इन पावर-‘फुलो’ के आगे पिचक जायेगी |
हाईनेस ये जानिये कि, एक सरकार के ‘पाए’ इसी के चलते उखड गए थे |
हम इनके पावर और मारक क्षमता से आगाह किये देते हैं |
इनकी मारक क्षमता के जद में, जनता जब आती है तो सड़कों में तमाशा चालु हो जाता है |दंगे-फसाद,बंद-घेराव ,लूट –बलात्कार सरकार को बदनाम करने के लिए प्रायोजित किये जाते हैं |
हुजूर! कोई माफियामाँ के पेट से नहीं जन्मता ,वे हमारे बीच के लोग होते है|
गलत परवरिश,अशिक्षा,गलत संगत,और धाँसू-रसूखदार लोगों की दबंगई के प्रश्रय से, बिगड गए होते हैं |
इनको सरकारी आश्रय-प्रश्रय जब मिलने लगता है तब ये अमरबेल की तरह परजीवी बन कर, शासन रूपी समूचे पेड़ को चूसने लग जाते हैं |
आप आगे और जानना चाहते है तो, मैं आपको बेताल का किस्सा सुनाता हूँ |
अथ, बेताल ने समय काटने की गरज से राजा को यूँ सुनाया ;
एक राज में कुछ बेरोजगार बनिए थे |माँ-बाप ने नकारा समझ कर उन्हें घर-निकाला कर दिया था |
वे भटकते हुए पडौसी राज में पहुच गए |
वहाँ एक ने अपने को कुशल कारीगर बताया ,दुसरे ने कहा कि वो कब्र खोदने में माहिर है ,तीसरे ने कहा कि पारखी है ,कुछ भी ले आओ एक्सपर्ट ओपीनियन हाजिर ,चौथे ने कहा कि वो बोलने में ‘पंडित-ज्ञाता’ है |
चारों को उनके कहे मुताबिक़ काम मिल गया |उस राज में लोग बहुत ही भले-भोले थे |वे अपनी समस्या लेकर पहुचने लगे |
कारीगर के पास कोई पहुचता तो वो कहता मुझसे काम करवाओगे तो बहुत महंगा पडेगा |यूँ करो कि काम दूसरा करे, मैं उसे सलाह देता रहूँगा ,चाहे तो फीस दे देना|
लोगों को उसकी बात जमती |वे अपने मकान का काम ठेकेदारों से करवाते ,कारीगर एक्सपर्ट अपनी राय देता ,नहीं खिडकी इधर पूरब में रहेगी ,धुप मिलेगी ,नीद जल्दी खिलेगी ,वास्तु दोष नहीं रहेगा |वास्तु-वास्तु के नाम पर कि तब्दीलियाँ करवा देता |उसके दोस्त पूछते यार, वहा सब तो ठीक था, मगर तूने अपनी टाग क्यों अडाई ?वो कहता अगर टाग न अड़ाऊ तो भूखों मरू ?मुझे कौन पूछेगा ?
कब्र खोदने वाला ,बिना काम के बैठे रहता |लोग मरते न थे |
एक दिन वह,पडौस के दुसरे राज में गया ,राजा से मिला,बुदबुदाया |वापस लौट आया |
पडौसी राजा, अपने दुश्मन राज को सबक सिखाने, रोज वहाँ के लोगों के चार सर काट के भिजवाने का हुकुम दे दिया |दिन फिरे ,कब्र खोदने वाले को,धन-दौलत ,राहत- आराम सब मिला | s
पारखी के पास लोग आते,अपनी दुविधा बताते |सोने की चीज ,हीरे –जवाहरात ,खेती-बाडी की खरीद –फरोक्त में उसकी सलाह ली जाने लगी |वो सुनारों का ,जौहरियों का दलाल हो गया| अपनी तारीफ के चलते उनको मुह-मागी रकम मिलने लगी|उसके भी दिन फिरे |दाल-रोटी चल निकली |
चौथे के काम में विघ्न ज्यादा था |
राज में ज्यादा बोलने वाले को ठूस दिया जता था |
वो इसी बात को मुद्दा बना कर लोगो को, अपने पक्ष में करने लगा| उसकी बातों में ललकार होती |उपर उठने-उठाने का आव्हान होता |
वो बरदास्त करने की हदें बताते –बताते लोगों में कब राजद्रोह का बिगुल फूक दिया पता ही नहीं चला |
राजा की नीद तब खुली जब , सत्ता, अब गई –तब गई के कगार में पहुच गई |
राजा ने समझौता करने में भलाई समझी ,उसे बातचीत का न्योता दिया |वो आधे राज का हकदार हो गया |
चारों मिलकर माफिया-राज बरसों तक चलाते रहे |
राजन ,तुम बताओ जनता का सबसे बड़ा हितैषी कौन ?
अगर तुमने जानबूझ कर इसका जवाब नहीं दिया तो तुम्हारे सर के टुकड़े –टुकड़े हो जायेंगे |
राजा ने कहा , जो कारीगर है वो ठग है |जो पारखी है वो धूर्त है |जो कब्र खोदता है वो देशदोही है|मगर जो राजा के अन्याय से मुक्त कराये वही हितैषी है भले ही उस पर राजद्रोह का इल्जाम लगे मगर सच्चे अर्थों में वो कहीं न कहीं जनता की भलाई जान-जोखम में डालकर करता है |
बेताल जवाब सुनकर, राजा के कंधे से उड़ के, फिर उसी पेड़ की डाल पर उलटा लटकने के लिए जा पहुचा |
तो ये थी ,माफिया प्लानिंग |
हाईनेस जी! सी बी आई ,रा ,एल आई बी की रिपोर्ट कू रद्दी की टोकरी में डायरेक्ट फेकने का नइ |
माफिया –प्लानिग सूंघने के लिए कुत्तों को लगाना कभी-कभी बहुत जरुरी हो जाता है |
हाईनेस,मारक क्षमता जानना चाहते हैं तो ,ई बात भी कानों में डाल लें ,इनका काटा, कोबरा (पदम-नाग) माफिक असर का होता है |
हमारे देहात में, कहावत है ,”जिसकू काटे पदम् ,वो न चले कदम” |
अब जानिये कितना जानना है ?आदमी अपने पैर पर चल के (घर) नहीं जा सकता |चार आदमी ही उठाते हैं बस |
हाईनेस जी ! इनसे आप विरोधियों के खम्बे उखड़वा लो |
बड़ी-बड़ी,गहरे से गहरी फैली जड़े, ये मिनटों में साफ करके आपके कदमो में डाल देंगे |
आपको इनने (माई-बाप) मान लिया तो आपके लिए कुछ भी ,कहीं भी कभी भी कर सकते हैं |
चुनाव जितवाना इनके बाएं हाथ का खेल है |जिन्दगी-भर आपके गुलाम बनके रह लेगे ,उफ न करेगे |
इनकी ,बस ये शर्त होती है कि जब इनका समय आये तो आप उफ न करें|
सरकार हो ,जनता हो, या इनकी तरफ आख दिखाने वाली महिला अधिकारी,...... जब ये चीर हरन पर उतर आये.... तो सब की आखे ‘धृतराष्ट्र-गांधारी’ जैसी होनी चाहिए बस ........|
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर,Zone 1 street 3 , दुर्ग (छ ग)’
mobile 08866502244 :::,8109949540::::09526764552
susyadav7@gmail.com , sushil.yadav151@gmail.com
जनता अब जाग गई है|
चैन से तुम्हे सोना है...... तो अब तुम भी जाग जाओ.....|
हम काश्मीर से कन्याकुमारी ,राजस्थान से बंगाल समूचे भारत के आम आदमी हैं |
हमें तुमने खूब उल्लू बनाया |अब उल्लू बनाने का नइ ....|
हमारे हाथ में काम भले न हो, इंटरनेट वाला मोबाइल जरुर है |सो उल्लू बनाविंग का खेल ख़त्म |
पारदर्शिता वाला गेम चालू,.....|
दृश्य १....
मार्च का महीना,अंतिम सप्ताह ,बजट का अनाप-शनाप पैसा, लेप्स होने के कगार में |ताबड़तोड़ खरीददारी का अभियान चालू | आफिस में ये होते रहता है |बड़े बाबू ,क्या-क्या चाहिए? सब फटाफट ३१ के पहले खरीद लो | मेरे रूम का ऐ सी बदल दो ,पुराने सभी फर्नीचर चेज कर दो ,और स्टाफ को जो-जो चाहिए सब दिला दो |बड़ा बाबू ,जो बात –बात पर डाट खाते रहता साहब के तेवर से हकबकाते हुए कहता ,सर ,पहले कोटेशन्स मंगवाना पड़ेगा |
ये क्या कोटेशन्स लगा रखी है ,पहले कभी खरीदे नही क्या ? श्याम फर्नीचर को फोन लगाओ ,कहो साहब ने याद किया है |तीन –तीन कोटेशन ले के आ जाए |कल बिल ,पेश कर दे ,पेमेंट कर देंगे |सामान आते रहेगा |
बड़े बाबू ने दबी जुबान से कहा ,सर वो आडिट....?
हम हैं ना ? तुम क्यों घबराते हो ....|देख लेगे आडिट वालों को भी , एक-आध ऐ सी से ज्यादा क्या मुह फाड़ेंगे ?
दृश २
नगर निगम विभाग ,रोड टेंडर .....|
क्या गुप्ता जी बहुत घटिया माल लगा रहे हो |रोड टिकता ही नहीं |अभी तीन महीने हुए हैं, पोटिया सड़क बने हुए ,देख के आओ ,क्या हालत हो गई है |
तुम्हारा टेंडर खुल भी जाए तो काम देने का मन नहीं करता|,हमे भी तो ऊपर जवाब देना होता है कि नहीं |पत्रकार लोग पीछा नहीं छोड़ते |
साहब ,आप को कोई झमेला नही आयेगा |,आप्प बिल पास करवाते जाइए,बाकी से हम निपट लेगे |और आपको बता दें, इसी निपटने के चक्कर में हमारा काम बढिया नही हो पाता|क्वालिटी मेंटेन नही कर पाते हम लोग ,वरना हम वो सड़क बना के दे कि बुलडोजर चला लो चाहे प्लेन उतार लो सड़क नही टूटेगी |
गुप्ता जी आजकल ज्यादा फेकने लगे हो |जाओ काम दिखाओ ,काम में मन लगाओ |
दृश्य ३
नक्सलाईट उवाच : कमांडर ,यहाँ लगा दे लेंड माइंस .....?
वहाँ क्या तेरा बाप गुजरेगा ,बहन के पिल्लै |
इस गाँव में एक मतदाता है ,सरकार पच्चीसों मुलाजिम भेजती है ,हमको गुमराह करती है |हम चाहे तो मतदाता को पकड़ ला सकते हैं,वे चाहे तो मतदाता को हेलीकाफ्टर में ले जाके मतदान करवा सकते हैं |मगर हम दोनों ये नहीं चाहते |हम दोनों का हक़ इस एक मतदाता वाले गाँव से जुडा है|सरकार को हम पर निगरानी रखने की एवज हेलिकाफ्टर,बोलेरो, अनेक गाड़ियाँ और अन्य सुविधाए मिलाती हैं|ऊपर से पैसे आते हैं |हमे सरकार की तरफ से ये सुव्विधा है कि वे हम पर इस गाँव में छुपे होने की निगरानी नहीं करते |
दृश्य ४
नेता जी ,कुछ आम आदमी सस्ते में मिल रहे हैं ,खरीद ले. क्या ?
क्या रेट बोलते हैं ?
......
अरे ये तो पिछली बार से दो-गुना ज्यादा है ,क्यों ?
वे कहते हैं ,आप सत्ता में आते ही दाम बढाते हो ,तब तो कुछ नहीं कहते ?इलेक्शन ख़त्म होते ही पेट्रोल-गैस ,साग –सबजी के दामो में आग लगनी है|
जिनसे चंदा लेकर चुनाव लड रहे हो उनकी भर-पाई में लग के, आम आदमी को जो भूल जाओगे ,उसका क्या ?
अरे यार ,बहस मत करो ,जो भी मागते हैं दे दो |आज उनकी हर बात जायज है |आने दो ......
“इस तरह कुछ कुछ नेता ,कुछ अधिकारी, कुछ आम आदमी के बहकने-बिकने मात्र से प्रजातंत्र का खेल एकतरफा हो गया है ,आप समझे कि नइ....... ?”
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छ.ग.)
जिनके घर शीशे के हो ....
मैने, अपना घर बनवाते वक्त अपने आर्कीटेक्ट –ठेकेदार को फकत इस बात की कड़ी हिदायत दिए रखा था, कि शीशे का उपयोग कम से कम हो |
लोग केवल शीशे के घर भी बनवाना पसंद करते हैं |
ये तो अपने –अपने मिजाज, मुहल्ले की किस्म, यार दोस्तों की क्वालिटी और दुश्मनो की फौज पर निर्भर करता है कि शीशे के मकान से रुतबा झलकता है कि परेशानी होती है |
शीशे के मकान के मारफत , आप चारों तरफ का नजारा देखना पसंद करते हैं,तो शीशा जरूरी है |अगर आपको चौबीसों घंटे सी बी आई ,इनकम टेक्स रेड का डर सताए रहता है, और अपने सेक्युरेटी गार्ड्स पर भरोसा नहीं है ,तो शीशा और भी जरूरी है |
यदि आपने झोपडपट्टी के बीच शीश-महल बनवा लिया तो खुदा खैर करे|
हमारी तो बालकनी के फकत, एक खिडकी पर कांच लगा था मगर मुहल्ले के तेंदुलकरों ने छक्के मार-मार कर हमे छका दिया |कितने दादा किस्म के माँ-बापो से रोज भिडते रहेंगे ?उल्टे वे आप पर रोब झाड के चल देंगे ,देखो मिस्टर ,इस मोहल्ले में रहना है, तो ये सब नहीं चलेगा |हमारे बच्चे खान जाएँ खेलने ?एक यही मैदान बचा था जो आपने ‘हडप’ लिया | मोहल्ले वालों के ‘हडप लिया’इल्जाम से बचने का तात्कालिक तरीका ये होता है कि हम शीशे-टूटी को किसी प्रकार बंद कर लें और खुद भी अंदर हो जावें |
जिनके यार दोस्तों की लिस्ट में ‘मुलायम-बेनी’ जैसी घटना-दुर्घटना न हुई हो वे मजे में शीशो का उपयोग करे वरना बेनी-बाबू नुमा व्यक्ति , ये दूर से देख लेते हैं कि, उनके पुराने दोस्त की अब झाड़ू लगाने की क्वालिटी में दम नहीं है ? वे तुरंत फिटनेस सर्टिफिकेट के कालम में ये व्यक्त कर देते हैं कि उनका दोस्त पहले भले अच्छा रहा हो, मगर इंन दिनों वे पी एम आफिस में झाडू लगाने के काबिल नहीं हैं|
(समाचार पत्रों में प्रकाशित बेनी-उवाच से साभार)
रही बात दुश्मन के फौजों की तो ‘नमो’ के खिलाप कांग्रसियों की कतार लगी रहती है|’नमो’ ज़रा सा अपने शीशाच्छादित राजनैतिक गलियारे में चहलकदमी करते हैं कि बवाल उठ खडा होता है|शाम को लाइव टेलीकास्ट में एक से एक दिग्गज बखिया उधेड़ने जमा जो जाते हैं |उनकी भावी योजनाओं को उन तराजुओ में तोलने लगते हैं, जहाँ नमो का पलडा कभी भारी पडता दिखाई ही नहीं देता|अखबार में उनके ‘फेकू’ होने ‘दिगियाना’ बयान जारी हो जाते हैं| ट्रांसपिरेंसी के जमाने में पूरे देश को ‘हमाम’ बनाने वाले लोगों की रणनीति क्या है ,कुछ खबर भी है आपको ?
सुशील यादव
द्रोपदी का चीर हरण
‘हिज-हाईनेस’ के राज में एक बार ‘माफिया शक्ति’ का भयानक जोर हो गया |
’हिज हाईनेस’ घोर चिंता में डूब गए |
मंत्री-संतरी, सब को एक काम में लगाया गया कि वो जानकारी दें कि माफियाओं का पावर कितना है ?
उनकी मारक क्षमता क्या है ?
कितने रेंज तक उनकी मिसाइलें काम कर सकती हैं?
वे क्या –क्या उखाड सकते हैं ?
वे राज –काज में कितना दखल रख सकते हैं ?
आने वाले चनाव में उनका क्या रोल होगा ?
हिज हाईनेस ने मंत्री-मंडल से मुखातिब होके पूछा ,कब तक रिपोर्ट मिल जाएगी ?मंत्री लोग एक-दूसरे का मुह ताकने लगे |
हाईनेस ने कहा , हम ज्यादा इंतिजार नहीं कर सकते पांडुरंगो|सामने चुनाव है |जनता को धुले हुए मुँह दिखाना है |
एक-एक विभाग की समीक्षा बैठक होने लगी |
‘महंगाई और माफिया’ पर इकानामिस्ट के विचार मांगे गए |
उन्होंने उदाहरण सहित व्याख्या किया |देश में महंगाई, ‘डिमांड और सप्लाई’ के सिद्धांत पर आधारित है जहाँ पनाह! उसे न आप बदल सकते हैं न हम |
प्याज की डिमांड है ,उत्पादकता नही ,सप्लाई नही, तो दाम बढ़ेंगे ही जनाबे-आला |मगर हमारी राय में दाम आसमान छूने लगे, ये समझ से परे है| इसमें ,कहीं न कहीं जमाखोर- माफियाओं का खेल जरूर है |
इन जमाखोर-माफियाओं को कसना पडेगा, वरना हुजूर की गद्दी इन पावर-‘फुलो’ के आगे पिचक जायेगी |
हाईनेस ये जानिये कि, एक सरकार के ‘पाए’ इसी के चलते उखड गए थे |
हम इनके पावर और मारक क्षमता से आगाह किये देते हैं |
इनकी मारक क्षमता के जद में, जनता जब आती है तो सड़कों में तमाशा चालु हो जाता है |दंगे-फसाद,बंद-घेराव ,लूट –बलात्कार सरकार को बदनाम करने के लिए प्रायोजित किये जाते हैं |
हुजूर! कोई माफियामाँ के पेट से नहीं जन्मता ,वे हमारे बीच के लोग होते है|
गलत परवरिश,अशिक्षा,गलत संगत,और धाँसू-रसूखदार लोगों की दबंगई के प्रश्रय से, बिगड गए होते हैं |
इनको सरकारी आश्रय-प्रश्रय जब मिलने लगता है तब ये अमरबेल की तरह परजीवी बन कर, शासन रूपी समूचे पेड़ को चूसने लग जाते हैं |
आप आगे और जानना चाहते है तो, मैं आपको बेताल का किस्सा सुनाता हूँ |
अथ, बेताल ने समय काटने की गरज से राजा को यूँ सुनाया ;
एक राज में कुछ बेरोजगार बनिए थे |माँ-बाप ने नकारा समझ कर उन्हें घर-निकाला कर दिया था |
वे भटकते हुए पडौसी राज में पहुच गए |
वहाँ एक ने अपने को कुशल कारीगर बताया ,दुसरे ने कहा कि वो कब्र खोदने में माहिर है ,तीसरे ने कहा कि पारखी है ,कुछ भी ले आओ एक्सपर्ट ओपीनियन हाजिर ,चौथे ने कहा कि वो बोलने में ‘पंडित-ज्ञाता’ है |
चारों को उनके कहे मुताबिक़ काम मिल गया |उस राज में लोग बहुत ही भले-भोले थे |वे अपनी समस्या लेकर पहुचने लगे |
कारीगर के पास कोई पहुचता तो वो कहता मुझसे काम करवाओगे तो बहुत महंगा पडेगा |यूँ करो कि काम दूसरा करे, मैं उसे सलाह देता रहूँगा ,चाहे तो फीस दे देना|
लोगों को उसकी बात जमती |वे अपने मकान का काम ठेकेदारों से करवाते ,कारीगर एक्सपर्ट अपनी राय देता ,नहीं खिडकी इधर पूरब में रहेगी ,धुप मिलेगी ,नीद जल्दी खिलेगी ,वास्तु दोष नहीं रहेगा |वास्तु-वास्तु के नाम पर कि तब्दीलियाँ करवा देता |उसके दोस्त पूछते यार, वहा सब तो ठीक था, मगर तूने अपनी टाग क्यों अडाई ?वो कहता अगर टाग न अड़ाऊ तो भूखों मरू ?मुझे कौन पूछेगा ?
कब्र खोदने वाला ,बिना काम के बैठे रहता |लोग मरते न थे |
एक दिन वह,पडौस के दुसरे राज में गया ,राजा से मिला,बुदबुदाया |वापस लौट आया |
पडौसी राजा, अपने दुश्मन राज को सबक सिखाने, रोज वहाँ के लोगों के चार सर काट के भिजवाने का हुकुम दे दिया |दिन फिरे ,कब्र खोदने वाले को,धन-दौलत ,राहत- आराम सब मिला | s
पारखी के पास लोग आते,अपनी दुविधा बताते |सोने की चीज ,हीरे –जवाहरात ,खेती-बाडी की खरीद –फरोक्त में उसकी सलाह ली जाने लगी |वो सुनारों का ,जौहरियों का दलाल हो गया| अपनी तारीफ के चलते उनको मुह-मागी रकम मिलने लगी|उसके भी दिन फिरे |दाल-रोटी चल निकली |
चौथे के काम में विघ्न ज्यादा था |
राज में ज्यादा बोलने वाले को ठूस दिया जता था |
वो इसी बात को मुद्दा बना कर लोगो को, अपने पक्ष में करने लगा| उसकी बातों में ललकार होती |उपर उठने-उठाने का आव्हान होता |
वो बरदास्त करने की हदें बताते –बताते लोगों में कब राजद्रोह का बिगुल फूक दिया पता ही नहीं चला |
राजा की नीद तब खुली जब , सत्ता, अब गई –तब गई के कगार में पहुच गई |
राजा ने समझौता करने में भलाई समझी ,उसे बातचीत का न्योता दिया |वो आधे राज का हकदार हो गया |
चारों मिलकर माफिया-राज बरसों तक चलाते रहे |
राजन ,तुम बताओ जनता का सबसे बड़ा हितैषी कौन ?
अगर तुमने जानबूझ कर इसका जवाब नहीं दिया तो तुम्हारे सर के टुकड़े –टुकड़े हो जायेंगे |
राजा ने कहा , जो कारीगर है वो ठग है |जो पारखी है वो धूर्त है |जो कब्र खोदता है वो देशदोही है|मगर जो राजा के अन्याय से मुक्त कराये वही हितैषी है भले ही उस पर राजद्रोह का इल्जाम लगे मगर सच्चे अर्थों में वो कहीं न कहीं जनता की भलाई जान-जोखम में डालकर करता है |
बेताल जवाब सुनकर, राजा के कंधे से उड़ के, फिर उसी पेड़ की डाल पर उलटा लटकने के लिए जा पहुचा |
तो ये थी ,माफिया प्लानिंग |
हाईनेस जी! सी बी आई ,रा ,एल आई बी की रिपोर्ट कू रद्दी की टोकरी में डायरेक्ट फेकने का नइ |
माफिया –प्लानिग सूंघने के लिए कुत्तों को लगाना कभी-कभी बहुत जरुरी हो जाता है |
हाईनेस,मारक क्षमता जानना चाहते हैं तो ,ई बात भी कानों में डाल लें ,इनका काटा, कोबरा (पदम-नाग) माफिक असर का होता है |
हमारे देहात में, कहावत है ,”जिसकू काटे पदम् ,वो न चले कदम” |
अब जानिये कितना जानना है ?आदमी अपने पैर पर चल के (घर) नहीं जा सकता |चार आदमी ही उठाते हैं बस |
हाईनेस जी ! इनसे आप विरोधियों के खम्बे उखड़वा लो |
बड़ी-बड़ी,गहरे से गहरी फैली जड़े, ये मिनटों में साफ करके आपके कदमो में डाल देंगे |
आपको इनने (माई-बाप) मान लिया तो आपके लिए कुछ भी ,कहीं भी कभी भी कर सकते हैं |
चुनाव जितवाना इनके बाएं हाथ का खेल है |जिन्दगी-भर आपके गुलाम बनके रह लेगे ,उफ न करेगे |
इनकी ,बस ये शर्त होती है कि जब इनका समय आये तो आप उफ न करें|
सरकार हो ,जनता हो, या इनकी तरफ आख दिखाने वाली महिला अधिकारी,...... जब ये चीर हरन पर उतर आये.... तो सब की आखे ‘धृतराष्ट्र-गांधारी’ जैसी होनी चाहिए बस ........|
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर,Zone 1 street 3 , दुर्ग (छ ग)’
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