Thursday 23 February 2017

‘आप’ तो ऐसे न थे ........!

‘आप’..... में कितनी खूबियाँ थी क्या कहें ?
सुबह –सुबह उठ के ‘झाड़ू’ लगा लेते थे |गाय को चारा-भूसा हमारे उठने के पहले खिला देते थे |आपको झूठ बर्दाश्त नहीं होता था |झूठ के खिलाप आपका सत्याग्रह दो समोसों के साथ टूटते हर पडौसी ने देखा है |
वो हमारी प्यार भारी नोक-झोक वाले दिन न जाने कहाँ गए ?
मुझे अच्छी तरह से याद है ,जब हम पहली बार मिले थे तो आपने क्या –क्या वायदे किये थे |रामलीला देखने के बहाने हम मिल लिया करते थे |
आपने कहा था हमारी जिन्दगी में महंगाई कोई अहमियत नहीं रखेगी |हम हर जुर्म से लोहा लेगे |आज आपको कबाड़ इकट्ठा करते देख दुःख होता है |
आप-ने वचन दिया था,चाहे कुछ भी हो जाए ‘खडूस’ पडौसियों से संबंध नहीं रखेगे | पतली दाल खा लेगे मगर तंदूर की मुर्गी को ताकेंगे नहीं ?कोई दिखावा ,कोई नुमाइश नहीं होगी |जैसे सब रहते हैं वैसे जियेंगे ,क्यां कि ‘सब के साथ’ जीने का मजा ही अलग है ?कहाँ गए आप-के वादे ?
माना कि आपके ‘सपने’ विराट थे ,मगर ‘विराट कोहली’ भी बेचारा  कई बार जीरो में आउट हो जाता है |हर बाल में ‘हिट’ करने वाला शर्तिया ये नहीं कह  सकता कि उसकी सेंचुरी मुक्कम्मल होगी |धुरंधर बालर-फिल्डर से गेम निकाल ले जाना कभी-कभी किस्मत का खेल होता है,ये आप मानने से कतराते क्यों हैं ?
आमीन ....
सुशील यादव
न्यू आदर्श नगर,Zone 1 street 3 ,  दुर्ग (छ ग)’
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