कौन किसी को बड़ी सौगात दौलत देता है
खजाने का पता, खुदा बस मुहब्बत देता है तुम छीन नहीं सकते, किसी की उखड़ी सासें
कौन सा मजहब, इसकी इजाजत देता है फटना चाहता है,किसी बात पे, जब ये दिल
अंदर से, चुप रहने की, कोई हिदायत देता है तेरे शहर में, मशवरा भी, यूँ काम आया
रंगीनियों से, बच निकलने की, आदत देता हैतुमसे सीख लेते, बर्फीले हवा, जीने का हुनर
कौन एहसास, तुमको सुकून –हरारत देता है वो शहर धूप में कुम्हलाते नहीं ,जिसकी जड़ो
पानी का निजाम ,बागबान अपनी ताकत देता है सुशील यादव
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