SUSHIL YADAV,VADODARA
दुर्ग ,छतीसगढ़ जन्म :जून ५२
Sunday 10 July 2011
गांव के बाशिंदे कहाँ गए.....
‘पर’ जिनके कटे थे ,परिंदे कहाँ गए
सीधे सादे गांव के, बाशिंदे कहाँ गए
जमीन खा गई,उसे कि निगला आसमा
निगरानी शुदा थे जो, दरिंदे कहाँ गए
मजहब कि जमीं, और बारूद का धुँआ
फिर,ढेर लगा लाशो का दरिंदे कहाँ गए
तेरे होने का सुकून था कहीं भीतर
सर रख के जिसपे रोते ,कंधे कहाँ गए
सुशील यादव
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