Sunday 10 July 2011

मुझको कब आया.....


 सोच समझ कर सही  फैसला करना
 मस्जिद में पूजा ,मंदिर सजदा करना


             कहाँ ये मुमकिन अब, बारिश में यारो
      बचपन की, भीगी-यादों, बचा करना  


इसी तजुर्बे से, निभती है दुनियादारी,
किस मुकाम झुकना, कहाँ अडा करना


     उम्मीद के हर परिंदे को ये हिदायत
    अपनी पहुंच, आकाश ही  उडा करना


जो दिल तक उतरे, किताबें मजहब की
तहे दिल, केवल वही, सुना –पढ़ा करना


     मेरे चेहरे पर कब रहा है, कोई नकाब
     मुझको कब आया, खुद से, छिपा करना


सुशील यादव

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