Monday, 8 September 2014

नए नए चाणक्य .....?

नए नए चाणक्य .....? उस दिन कन्छेदी लगभग भागता हुआ आया। उसके इस प्रकार के लगभग भागते हुए, मेरी बैठक में मंच-प्रवेश, मुझे आशंकाओं के इर्द-गिर्द कर देता है। मैं पानी का गिलास ऐसे समय के लिए तत्काल हाजिर किये जाने का फरमान जारी किये हुए हूँ, जिसका पालन भी तत्काल हो जाता है। उसने दायें –बाए देखा, मै समझ गया मामला प्रायवेसी चाहता है। अन्य लोगो को हटाने का इशारा करके पूछा ,बताओ क्या बात है ? गुरुजी ,क्या गजब हो रहा है,उसने खुफियाना अंदाज में कहा , लोग पार्टी से धकियाये जा रहे हैं। नए –नए छोकरे घुस आये हैं। वे अपने आप को चाणक्य बताये जा रहे हैं। हैं स्साले मात्र ग्रेजुएट,पी जी वाले। क्या गुरुजी ,एम-बी- ए वगैरा की डिग्री में ऐसा कोई कोर्स होता है क्या ?कहते हैं हम सब बदल देंगे। गुरुजी आप कुछ तोड़ तो बताइये ?इन लौंडों-लापाडो से कैसे निपटें ? कन्छेदी मुझे स्वयं-भू गुरु माने बैठा है। दो –चार बार उसके आड़े वक्त में जो सलाह दी वो कामयाब रही। इलेक्शन के समय उसे कहाँ कैसी तैय्यारी करना है किससे बचना है किसको ठुकवाना है, उसके बहुत काम आया| भले इलेक्शन वो अपनी काबलियत पर जीता हो मगर तब से गुरु का खिताब मेरे सर पर रख गया। उसके चलते बाक़ी लोग भी मुझे गुरु ही बुलाने लग गए हैं। मैंने कहा कन्छेदी ,नये –नये चाणक्यों में कोई चोटीधारी भी है क्या ?उसने स-आश्चर्य पूछा क्यों गुरुजी ? मैंने कहा ,सिर्फ चोटी वाले ही किसी का कुछ बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं। वे चोटी को कसम के साथ को फिट कर देते हैं। शपथ के साथ भरी सभा में हूंकार भर के कह जाते हैं, ये चोटी तभी बंधेगी जब अमुक का सर्वनाश होगा ? बाक़ी लोग अपने को भले चाणक्य की केटेगरी का समझते हों वे मात्र एम बी ऐ वाले स्टूडेंट हैं उनसे खतरा भापने की जरूरत नहीं। मगर हाँ ,डिटेल में बताओ आजकल तुम्हारे पालिटिक्स में क्या हो रहा है इधर ? क्या बताये गुरुदेव ,एक नारा उछल गया है, न खायेंगे न खाने देंगे| भला पालिटिक्स में ये सब चलता है क्या ? हमारी समझ से गुरुदेव पालिटिक्स बना ही खाने पीने के वास्ते है। जो बताते हैं देश सेवा के वास्ते इधर भटक रहे हैं,मई साफ-साफ कहूँ , वे सब जनता को गुमराह किये दे रहे हैं। देश सेवा मूक-बधिर माफिक की जाती है, चुपचाप। किसी को कानो-कान खबर नहीं होती की देश –सेवा की जा रही है। लोग भगवान –गाड- अल्लाह की पूजा –इबादत करते हैं तो हल्ला बिलकुल नहीं करते जो भी मन्नंत मागना हो मांग लेते हैं चुपचाप। यही इश वन्दना है और ऐसे ही देश-सेवा की जानी चाहिए। हमने तो गुरुजी आपसे पहले दिन ही कह दिया था, जब आपने पूछा था पालिटिक्स में आने का हमारा मकसद क्या है ?हमने कहा था नाम कमाना चाहते हैं। (दाम कमाने के बारे में संकोच से कुछ कह न पाए थे )|अब नाली –पानी सुधरवाने के लिए तो हम पालिटिक्स में घुसे न थे ना ? गुरुजी हमारा काम अच्छे से चल निकला था ,मिनिस्ट्री हाथ लगाने को थी मगर कुछ तोडू –दस्ता बीच में घुस आये। नए –नए विधायक बने हैं तीसमारखा समझाते हैं, तैमूरलंग की औलाद लोग । कभी नहा के अपनी चड्डी धोये-सुखाये नहीं। इन्हें क्या मालूम तकनीक क्या है ? कहते हैं उम्र दराज लोगों को किनारे करो। हम नये हैं नया उत्साह है ,नइ उमंगे हैं कुछ कर दिखाने का हममे ओर केवल हमी में दम है| गुरुजी क्या वे सही बोल रहे हैं ?हमारी नय्या डोलने लगी है। आशंकाओं से नीद कोसो दूर हो गई है अब क्या होगा की चिंता सताए-खाए जा रही है। सी एम ,अगर उनकी सुनते हैं तो हम लोग दरकिनार कर दिए जायेगे ? मैंने कहा ,देखो कन्छेदी ,ये सब जनता की एक तरफा सोच का नतीजा है उनने एक पार्टी को तीन-चौथाई बहुमत में भेज दिया। आजकल इसके ये मायने हो गए हैं कि ऊपर ओहदे में बैठा आदमी स्वेच्छाचारी बन गया है। उसे अपनी पसन्द के लोगो को साथ रखने की खुली छूट मिल गई है। पहले चार-आठ दलो को लेकर कुर्सी के पाए सधाए जाते थे ,जिसमे हर बुजुर्ग की अहम् भूमिका नजर आती थी। यही कारण था कि तुम्हारी खबर भी अच्छे से ली जाती रही अबतक ?समझे की नहीं ? खैर, बात कुछ ज्यादा बिगड़ी नहीं ,कितने बुजुर्ग लोग हैं तुम्हारे साथ ?एक आन्दोलन खडा करना पड़ेगा। तरीके से, न खायेंगे न खाने देंगे का नारा बुलंद करना पड़ेगा ? तुम लोगों को, एक ‘निगरानी -दफ्तर’ के माफिक काम करना होगा। एक-एक काम का ,एक-एक ठेके का ,एक-एक मिनिस्टर की हैसियत का लेखा-जोखा देखना-परखना जांचना होगा। घी सीधी उंगली से न निकले तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। उगली करने के और भी तरीके हैं वक्त आने पर इसकी ट्रेनिग लेने के लिए खुद को तैयार रखना। फिलहाल इतने से काम चल जाएगा। अगर नहीं चला तो मुझसे आगे मिलना ,कुछ नए करिश्मे वाली बात बताउंगा ? कन्छेदी ,पैर छूकर चलता बना। सुशील यादव

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