Saturday 4 August 2012


बचे हुए कुछ लोग ....
लक्ष्य का हमको पता नही ,पतवार लिए हैं
हम गांधारी के बेटो जैसा , संस्कार लिए हैं
            हम बेच नहीं पाते अब  ,ईमान टके भाव
            सब अपने –अपने मन  का, बाजार लिए हैं
भूख- गरीबी , है हर हाशिया  विज्ञापित
हम  आगामी कल का,अखबार लिए हैं
            अहिसा के पुजारी ,किताबो में चले गए
            बचे हुए कुछ लोग यहाँ , तलवार लिए हैं



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