बचे हुए कुछ लोग ....
लक्ष्य का हमको पता नही ,पतवार लिए हैं
हम गांधारी के बेटो जैसा , संस्कार लिए हैं
हम
बेच नहीं पाते अब ,ईमान टके भाव
सब
अपने –अपने मन का, बाजार लिए हैं
भूख- गरीबी , है हर हाशिया विज्ञापित
हम आगामी कल का,अखबार लिए हैं
अहिसा
के पुजारी ,किताबो में चले गए
बचे
हुए कुछ लोग यहाँ , तलवार लिए हैं
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